चूरू जिला कलक्टर श्री अभिषेक सुराणा की पहल पर जिले में ऊंटपालकों की आय बढाने तथा उष्ट्र संरक्षण की दिशा में ठोस कार्ययोजना बनाकर काम किया जा रहा है। कार्ययोजना के तहत, ऊंटनी के दूध एवं उससे बनने वाले सह-उत्पादों के प्रचार प्रसार व विपणन के लिए चूरू डेयरी सरदारशहर के सहयोग से काम किया जा रहा है। बीकानेर में संचालित राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र तथा राजस्थान डेयरी फेडरेशन तथा पंडित दीनदयाल मेडिकल कॉलेज चूरू से समन्वय कायम कर समय-समय पर योजना में तकनीकी सहयोग लिया जा रहा है। ऊंटपालकों को भी आवश्यक तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि प्राचीन समय से ही देश में ऊंट का उपयोग खेती और भार ढोने के काम में प्रमुखता से किया जाता रहा है लेकिन वर्तमान में मशीनीकरण ने ऊंट की उपयोगिता को कम किया है और ऊष्ट्रपालकों के लिए ऊंट को रख पाना एक चुनौती बन गया है। इसे देखते हुए जिला कलक्टर श्री अभिषेक सुराणा की पहल पर ऊंट पालन को प्रोत्साहन देने तथा ऊंट पालकों की आय बढ़ाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर काम किया जा रहा है।
इसी सिलसिले में जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा की अध्यक्षता में 23 नवंबर, 2024 को क़ृषि विज्ञान केंद्र सरदारशहर में डॉ वी के सैनी के निर्देशन में पशुपालन विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र सरदारशहर तथा चूरू जिला दुग्ध उत्पादक संघ सरदारशहर डेयरी के संयुक्त तत्वावधान में ऊंटपालकों की कार्यशाला सरदारशहर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित की गई। इस दौरान उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर जोड़बीड़ के मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ. काशीनाथ सहित विशेषज्ञों द्वारा ऊंटनी के दूध, इसके रख-रखाव एवं इसके महत्त्व की जानकारी साझा की गई। साथ ही इससे बनने वाले उत्पादों को बनाने व उसके विक्रय तथा दूध के उपयोग से बीमारियों की रोकथाम के सम्बन्ध में विस्तार से बताया गया। बैठक एवं संवाद कार्यक्रम में जिले के 200 से अधिक ऊंटपालक एवं विभागीय अधिकारी कर्मचारियों ने भाग लिया।
उल्लेखनीय है कि ऊंटनी का दूध बहुत पौष्टिक तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला माना जाता है। ऐसे में इस दूध व इससे बने उत्पादों का उपयोग जन स्वास्थ्य के लिए भी काफी कारगर साबित होगा। ऊंटनी के दूध से दही जमना काफी मुश्किल होता है लेकिन नई तकनीक का उपयोग कर दही जमा लिया जाता है तो वह बहुत पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्द्धक माना जाता है। चूरू जिले के किसानों को इस दूध से दही जमाने की विशेष तकनीक बताई जा रही है।
कोरोना काल के पश्चात् आमजन की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली में गिरावट विशेषज्ञों द्वारा दर्ज की गई है। इस संबंध में हुए विभिन्न शोध में पाया गया है कि ऊंटनी के दूध से रोगों के प्रसार की रोकथाम में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की जा सकती है। अतःएव किसानों को स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन माने जाने वाला ऊंटनी के दूध और उससे बने उत्पाद आईसक्रीम, चाय-कॉफी, स्मूदी और दही के बारे में बताया गया है।
राज्य सरकार की ओर से ऊंटनी के प्रसव पर दो किश्तों में ऊंटपालकों को ऊंटनी के प्रसव पर दी जा रही 10 हजार रुपए की राशि को भी बढ़ाकर 20000 रुपये कर दिया गया है। ऊंटनी का दूध फिलहाल पशुपालकों द्वारा टोडिये को पिलाने के अलावा और कोई काम नहीं लिया जाता है। इसलिए पशुपालक दूध उत्पादन की मात्रा पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं जबकि मादा ऊंटनी को उचित पोषण दिया जाकर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। कार्ययोजना के मुताबिक, प्रति ऊंटनी से एक दिवस में 2-3 लीटर दूध का संकलन किया जा सकता है, जिसे डेयरी द्वारा संचालित स्थानीय दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति अथवा दुग्ध संग्रहण केन्द्र के माध्यम से वैज्ञानिक विधि द्वारा संग्रहित कर डेयरी सरदारशहर में इक्ट्ठा किया जाएगा।
विशेषज्ञ सलाह के अनुसार दुग्ध का संग्रहण कम तापमान पर किया जाकर डेयरी में चिलिंग प्लान्ट में एकत्रा किया जाएगा, जहां से वह प्रोसेसिंग पश्चात् सम्बन्धित विपणन एजेन्सी अथवा चिकित्सालयों को भिजवाया जाएगा। अतिरिक्त दुग्ध का संकलन चूरू जिला डेयरी संघ सरदारशहर के माध्यम से किया जाएगा, जहां से चिकित्सालयों आदि में इसे दिया जा सकेगा। कार्ययोजना में जिला प्रशासन, चूरू जिला दुग्ध उत्पादक संघ (डेयरी) सरदारशहर, पशुपालन विभाग, डेयरी सरदारशहर द्वारा प्रायोजित एवं संचालित सहकारी समितियां एवं जिले के उष्ट्रपालक मिलकर काम कर रहे हैं। संग्रहित दुग्ध का मूल्य निर्धारण एक कमेटी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें पशुपालन विभाग, चिकित्सा विभाग तथा डेयरी सरदारशहर के अधिकारी एवं दो ऊंटपालक को शामिल किया जाएगा। पशुपालकों की बेहतर सहभागिता के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर जिले में ऊंटनी का पालन पोषण व रख-रखाव करने वाले एवं पशुपालन विभाग में सहायता हेतु आवेदन करने वाले ऊंटपालकों को जोड़ा गया है। ऊंटपालकों को बेहतर दर पर दुग्ध का भुगतान किया जाना प्रस्तावित है। डेयरी सरदारशहर को योजना के संचालन एवं संग्रहण के साथ वित्तीय सुदृढता प्राप्त हो सके, इसके लिए लाभ का उचित निर्धारण किया जाएगा। जब तक जिले में दुग्ध संग्रहण की उचित व्यवस्था नहीं हो, तब तक जिले से दूध संग्रहण कर बीकानेर भिजवाए जाने की व्यवस्था की जा रही है।
प्रदेश सरकार के कार्यकाल के 01 वर्ष पूर्ण होने की उपलक्ष में 13 दिसंबर 2024 को जिला मुख्यालय स्थित मातुश्री कमला गोयनका टाउन हॉल में आयोजित जिला स्तरीय किसान सम्मेलन में जिला नवाचार निधि अंतर्गत उष्ट्र संरक्षण संवर्द्धन विकास योजना के पोस्टर का लोकार्पण किया गया। इस योजना अंतर्गत उंटनी के दूध के संकलन हेतु केंद्र की स्थापना की गई है तथा नवाचार निधि में 5 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।

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